Difference between Sales and Turnover under Central Sales Tax in Hindi
हेलो दोस्तों।
इस पोस्ट में विक्रय और आवर्त के अंतर के बारे में जानेंगे।
विक्रय मूल्य एवं आवर्त के उपर्युक्त अध्ययन के बाद यह स्पष्ट हो चुका होगा कि CST कर योग्य आवर्त पर ही संगणित किया जाता है।
विक्रय मूल्य सभी प्रकार की विक्रयों का योग है भले ही ऐसा विक्रय किसी भी व्यापारी का किसी भी प्रकार की व्यापारिक गतिविधि के दौरान ही क्यों न किया गया हो। विक्रय मूल्य सकल राशि है, जिसमें से व्यापारिक / रोकडी बट्टा घटा दिया जाता है और माल की सपुर्दगी तब किए गए सभी व्यय जोड़ दिए जाते है।
Difference between Sales and Turnover under Central Sales Tax in Hindi |
जबकि आवर्त का आशय ऐसे कर योग्य आवर्त से है, जो कि अन्तर्राजीय व्यापार के दौरान व्यापारियों के बीच हुए विक्रय से ही सम्बन्धित है। ऐसी राशि मे से पश्चातवर्ती विक्रय छह माह के अंदर माल की वापसी, सरकार द्वारा प्रदत्त आर्थिक सहायता, निर्यात प्रोत्साहन राशि एवं करमुक्त माल का विक्रय घटा दिया जाता है।
वर्ष (Year) (Sec. 2 (k)
किसी व्यापारी के सम्बन्ध में वर्ष से तात्पर्य उस वर्ष से है जो समुचित राज्य के साधारण विक्रय कर अधिनियम के अंतर्गत उसके सम्बन्ध में लागू है। अगर व्यापारी राज्य में करदाता नही है तो ऐसे व्यापारी के लिए वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक माना जाता है।
व्यापारी के बारे में जाने
अन्तर्राजीय व्यापार या वाणिज्य के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण माल
कुछ वस्तुएं ऐसी होती है जो अन्तर्राजीय व्यापार में विशेष महत्व रखती है। यह राष्ट्र एवं व्यापार दोनो के हित मे है कि ऐसी वस्तुएं उचित मूल्य पर उपलब्ध हो और उन पर विक्रय कर का आर्थिक भार न डाला जाए। अतः केंद्रीय विक्रय कर अधिनियम की धारा 14 में निम्नलिखित वस्तुओं को अन्तर्राजीय व्यापार में महत्वपूर्ण माल घोषित किया जाता है और उस माल पर राज्यो द्वारा विक्रय कर वसूल करने के सम्बन्ध में कुछ प्रतिबन्ध एवं शर्तें लगा दी गयी है।
वर्ष (Year) (Sec. 2 (k)
किसी व्यापारी के सम्बन्ध में वर्ष से तात्पर्य उस वर्ष से है जो समुचित राज्य के साधारण विक्रय कर अधिनियम के अंतर्गत उसके सम्बन्ध में लागू है। अगर व्यापारी राज्य में करदाता नही है तो ऐसे व्यापारी के लिए वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक माना जाता है।
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अन्तर्राजीय व्यापार या वाणिज्य के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण माल
कुछ वस्तुएं ऐसी होती है जो अन्तर्राजीय व्यापार में विशेष महत्व रखती है। यह राष्ट्र एवं व्यापार दोनो के हित मे है कि ऐसी वस्तुएं उचित मूल्य पर उपलब्ध हो और उन पर विक्रय कर का आर्थिक भार न डाला जाए। अतः केंद्रीय विक्रय कर अधिनियम की धारा 14 में निम्नलिखित वस्तुओं को अन्तर्राजीय व्यापार में महत्वपूर्ण माल घोषित किया जाता है और उस माल पर राज्यो द्वारा विक्रय कर वसूल करने के सम्बन्ध में कुछ प्रतिबन्ध एवं शर्तें लगा दी गयी है।
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